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लेखनी प्रतियोगिता -22-Mar-2022 नई नवेहली दुल्हन


शीर्षक = नई नवेली दुल्हन 


ईशानी आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसकी शादी उसकी पसंद के लड़के ईशान के साथ हो रही थी । खुशी से ज्यादा वो उदास थी और घबरा रही होती है सोच सोच कर कि ना जाने वो ससुराल में कैसे रहेगी । ना जाने सास उसके साथ केसा व्यवहार रखे । सब का दिल जीत भी पाएगी या नही । इसी कश्मकश के साथ वो अपने ससुराल आ गई ।

उस रात तो सब थक गए होते है ।और अपने अपने कमरों मै जाकर सो जाते है । ईशानी भी कमरे में दुल्हन बनीं  बैठी ईशान का इतंजार करती ।

ईशान कमरे में आता, और उसे मूंह दिखाई में एक हीरे की अंघूटी देता उसके बाद  दोनो प्यार भरी बाते करते और ईशान और ईशानी सो जाते है ।

ईशानी अभी भी घबरा रही होती है कि ना जाने अगली सुबह उसके साथ केसा बरताव हो घरवालो का । इसी सोच के साथ वो सो गई ।


सुबह आंख दरवाजे पर हुई खटखटाहट से खुलती है । ईशानी बाहर जाकर देखती तो उसकी सास हेम लता दरवाजे पर खडी होती और जो काफी गुस्से में नजर आती । नमस्ते आंटी ईशानी कहती है 



ये आंटी क्या होता है ? मम्मी जी कहो उसकी सास उससे कहती 

समय देखा है तुमने घड़ी में क्या हुआ है? । ये तुम्हारा मायका नही है ससुराल है यहां रहने के कुछ कायदे और कानून है  जो सब को निभाने पड़ते है । अब जाओ ईशान को उठाओ और रसोई में आ जाओ । ये कह कर वो चली जाती है।


ईशानी ,दरवाज़े पर बुत की तरह खड़ी सोच रही होती है कि अभी तो मेरी हाथो की मेहंदी भी नही छुटी है और मेरा भाई भी मुझे लेने नही आया और मम्मी जी मुझे रसोई में बुला रही है।

ईशानी बेटा, यही ससुराल है जितने मजे लेने थे जिंदगी के तुमने पीहर में ले लिए अब स्वागत तो तुम्हारा हो ही गया है अब चढ़ जाओ सूली पर । उसकी अंतरात्मा ने कहा ।

नो बजे बिस्तर से उठने वाली आज सात बजे ही उठ खड़ी हूई । और नहा धोकर सास के साथ रसोई घर में आ गई ।

ईशान नही उठा क्या? हेमलता ने पूछा।

आ,,,, आ,,,,। मम्मी जी उनको मेने उठाया लेकिन वो नही उठे । ईशानी ने डरते हुए कहा ।

ठीक है ,सोने दो उसे शादी की थकान होगी उसे। और हा परांठे उसे मेरे हाथ के ही पसंद है तो तुम चाय बना लो सबके लिए ।

ईशानी , मन ही मन में सोच रही होती है थकी तो मैं भी हू लेकिन मम्मी जी को मेरा तो खयाल नही आया । शायद सास इसी का नाम है ।

जी मम्मी जी , जैसा आप कहे । ईशानी कहती है

वैसे तो उसे घर के सब काम करना आते है उसने पढ़ाई के साथ घर के काम भी सीखे थे । लेकिन सास के नजदीक खड़े होने की वजह से उसने घबराहट में चीनी की जगह चाय में नमक डाल दिया ।

ओर उसे ऐसा करते देख सास ने देख लिया फिर क्या था हो गया तानो का उदघाटन उस दिन से शुरू " तुम्हारी मां ने तुम्हे चाय तक बनाना नही सिखाई , तुम्हे चीनी और नमक में फर्क नही लगता है आंखे है या बटन "

बेचारी ईशानी थरथराते होंठ से कहती सॉरी मम्मी जी गलती से हो गया ।

बस तुम पढ़ी लिखी लड़कियों का यही एक जवाब होता है गलती करो और सॉरी बोल दो । हेमलता गुस्से में कहती है ।

तभी सारे घर वाले भी उठ जाते है । मां चाय दे दो । ईशानी के छोटे देवर अनुराग और नंद  अनुप्रिया जिसकी शादी हो गई है ने अपनी मां से कहा ।

चाय में समय लगेगा दोबारा बनानी पड़ेगी । तुम्हारी भाभी को चीनी और नमक का पता नही है या फिर शायद इनके मायके में सब नमक की चाय पीते है । इसलिए इन्होंने चाय में नमक डाल दिया। हेमलता कहती है।


उसकी नंद अनुप्रिया ताना देते हुए कहती है " भईया तो बता रहे थे कि तुम्हारी भाभी बहुत गुणवान है सब गुणों से पूरी सर्वगुणसंपन्न है । चलो आज डेमो देख लिया अब पता नही किसी दिन मिर्च की जगह खाने में जहर डाल दिया तो बस गए सब काम से । उसकी इस बात पर पूरा घर हसने लगता ।

ईशानी की आंखों में आंसू छलक आए । वो वहा से भाग जाना चाहती थी । जिसके खातिर वो अपना घर छोड़ कर आई थी वो अन्दर लेटा खर्राटे मार कर सो रहा होता है । उसे अपनी मां की याद आ रही होती है । उसकी मां ने बताया तो था की ससुराल की जिंदगी मायके से बिलकुल अलग होती है। वहा हर एक कदम फूंक फूंक के रखना होता है नही तो एक गलत कदम आप के लिए जिंदगी भर का नासूर बन सकता है ।


लेकिन इतनी अलग होती  है उसने सोचा नही था  कि पहले ही दिन उसे सारे कायदे कानून समझा दिए गए की उसे क्या करना है , कब उठना है , अपने पति के लिए क्या बनाना है , सब को खुश कैसे रखना है ।थोड़ा समय तो एक पौधे को भी दिया जाता है उगने के लिए जब उसे एक जगह से निकाल कर दूसरी जगह लगाया जाता है ।

क्या हम पौधो से भी गए गुजरे है । की हमे पहले दिन ही सब कुछ सिखा दिया जाता है । मानो ससुराल नही कोइ जैल होगायी और मैं उसमे बंद कैदी जिसका जुर्म इतना की उसने जमाने की रीत निभाई और अपने माता पिता को छोड़ कर गेरो के साथ आ बसी ।


सब लोग बाहर हसी मजाक कर रहे होते है । और ईशानी दोबारा सब के लिए चाय बनाती और पिलाती । किसी ने उसकी चाय की तारीफ नही की वो बेचारी इतंजार में थी की शायद अब कोई उसकी बनाई चाय की तारीफ करे लेकिन तारीफ तो नही करी बल्कि सब ने ये जरूर कहा । की मुझे अदरक की चाय पसंद है तो किसी ने कहा लॉन्ग इलाइची डली होती तो मजा आ जाता 

बेचारी जब घर पर चाय बनाती तो उसके माता पिता तारीफ करते नही थकते । शायद वो माता पिता थे जिन्हे एहसास था की उनकी बेटी ने कितनी मेहनत से उनके लिए चाय बनाई है।

ईशानी अपने कमरे में जाती तो देखती ईशान उठ चुका था । बिना मुझसे कुछ पूछे ,मेरे दिल का हाल  उसने कहा अलमारी से कपड़े निकाल कर प्रेस कर दो । मैं नहाने जा रहा हू । और हा मां से कहना मेरे लिए परांठे बना दे । तुम मत बनाना मुझे मां के हाथ के पसंद है । तुम बस चाय बना देना और कम दूध की मुझे कड़क चाय पसंद हैं ।


बेचारी ईशानी उसकी बाते सुन अचम्बे में पड़ जाती और मन ही मन सोचती की जब मां के हाथ के परांठे खाना थे तो मुझसे शादी क्यू करी?  ये वही ईशान है जो शादी से पहले मेरी कितनी परवाह करता था । जिसकी वजह से मेने इससे शादी की और अब इसने मुझसे पूछा तक नही की मैं कैसी हू । अपनी फरमाइश बता कर चला गया । शायद वो अब पति बन गया था इसलिए ऐसा हो गया ।


बाहर बरामदे में सब लोग आपस में ही बाते कर रहे होते है। और ईशानी बेचारी जो अभी किसी को ठीक से जानती तक नही थी इसलिए वो बोर हो रही थी । उसने वहा से उठने की सोची लेकिन तभी उसे अपनी मां की कही बात याद आ गई कि कभी भी ससुराल वालो के साथ बैठी हो तो उठ कर मत जाना वरना तुम्हारी सास और नंद समझेगी की बहु को हमारे साथ बैठना अच्छा नही लगता ।

वो बेचारी वही बैठी रही ना चाहते हुए भी सब को एक झूठी हसी दिखाती रही ।

उसके बाद वो अपने कमरे में आकर खूब रोती और कहती मुझे घर जाना है । मैं नही रुक सकती यहा पर तभी दरवाज़े पर उसके ससुराल वाले आ जाते और कहते अब तुम यहां से कही नही जा सकती हो तेरी डोली इस घर में आई थी लेकिन अर्थी वापस जाएगी ।

अपने ससुराल वालो को अपनी तरफ आता देख वो जोर ज़ोर से चीखने लगती है मुझे घर जाना है, मुझे बचाओ मुझे घर जाना है मुझे बचाओ।



उसकी चीखने की आवाजे सुन पास सो रहा ईशान उसे झांझोड़ता और कहता क्या हुआ ईशानी होश में आओ ? 

ईशानी उठते ही मुझे बचालो ईशान नही तो वो लोग मुझे मार देंगे ।

कोन लोग ? लगता है तुमने कोई बुरा सपना देख लिया है । ईशान कहता है

ईशानी पानी पीती और कहती क्या सच में , मैं सपना देख रही थी । बहुत ही बुरा सपना था ।

दरवाज़े पर दस्तक होती है ईशान दरवाजा खोलता है । सामने उसकी मां हेमलता खड़ी होती है।

उठ गए तुम दोनो नहा धोकर नीचे आ जाओ फिर नाश्ता करते है । हेमलता कहती है 

मां देखो ना ईशानी ने कोई बुरा ख्वाब देखा है कब से रो रही है। ईशान कहता है

बहू क्या हुआ तुमको रो क्यू रही हो । हेमलता पूछती 

ईशानी डरते हुए की क्या बुलाऊं सास को ।

आ,,,, आ ,,,, आंटी । नही मम्मी जी । ईशानी घबराते हुए कहती है ।

बेटा तुम्हारा जो  दिल कहे वो कहो डर क्यू रही हो मुझसे । आंटी कहना चाहती हो आंटी कहो नही  तो मम्मी जी कह लो अनुप्रिया भी मुझे मम्मी बुलाती है । 

मम्मी जी चाय बनाना थी मुझे लेकिन मुझे चीनी बता देना किधर रखी है । ईशानी कहती है

ईशान उसको बहकी बहकी बाते करता देख पीछे मुस्कुराता है।

अरे बहू तुम क्यू चाय बनाओगी । तुम तो अभी नई नवेली दुल्हन हो अभी तुम्हारी मेहंदी छुटना बाकी है । अभी तो तुम्हारी पक फेरे की रस्म बाकी है उसके बाद अगर तुम चाहो तो कुछ बना सकती हो अपने हाथो से।

और हा रही बात चीनी और नमक की वो अगर तुम थोड़ा बहुत ज्यादा या कम भी डाल दोगी तब भी चलेगा क्योंकि नई बहू को सीखने में थोड़ा बहुत तो समय लगता है।

मेरी अनुप्रिया को तो अभी तक खाने में नमक का अंदाजा नही हुआ है । हमेशा कम या ज्यादा कर देती है और हम लोग चुप करके खा लेते है और उसके ससुराल वाले भी।

मुझे लगता है तुमने कोई बुरा ख्वाब देखा था जिसमें तुम्हारा पाला एक जालिम ससुराल से हुआ था । हेमलता कहती है

ईशानी डरते हुए कहती जी मम्मी जी बहुत ही बुरा ख्वाब था । ईशानी अपना ख्वाब हेमलता को बताती है तब हेमलता की आंखों से आंसू आने लगते है।

मम्मी जी आप रो क्यू रही है? ईशानी पूछती है 

बेटा जो कुछ तुमने मुझे बताया वो सब मेरा अतीत था शायद । मेरा शादी का पहला दिन ऐसा ही गुजरा था मैं भी नई नवेली दुल्हन थी लेकिन मेरे ससुराल वालो ने मुझे दुल्हन के बजाए नौकरानी बना दिया ।

उसी दिन से मैने सोच लिया था की जब मेरे बेटे की बहू आएगी तब मैं उसका स्वागत अच्छे से करूंगी । मैं नही चाहती की मैं भी तुम्हारे साथ वही सब करू जो मेरे साथ हुए था और फिर तुम वही सब कुछ अपनी बहू के साथ करोगी । और इस तरह एक औरत दूसरी औरत की जिंदगी बर्बाद करने का जरिया बनती रहेगी । जैसा होता आ रहा है अब तक 

अब बस बहुत हो गाया किसी को तो कदम उठाना था तो मैंने उठा दिया । ईशानी बेटा मेरे इस संघर्ष में मेरा साथ दोगी ताकी किसी और की बेटी , किसी और की बेटी के साथ जुल्म ना करे सिर्फ इसलिए की उसने भी तो अपनी सास नंदो के ताने सुने थे तो फिर इसे भी सुनना पढ़ेंगे।


जी मां, मैं आपके साथ हू इस नई पहल में । ताकि मेरी तरह कोइ लड़की भी ससुराल जाने के नाम से डरे नही और ना उसकी मां उसे घर के काम ये कह कर सिखाए की कल को जब सास ताने देगी तब पता चलेगा । ये उसकी मर्जी की वो घर के काम सीखे या ना सीखे जबरदस्ती ना सिखाया जाए 

और वो अपनी मायके की जिंदगी खुशी से  जी सके और ससुराल में आप जैसी सास के हाथो सब कुछ सीख जाए धीरे धीरे ।

ईशानी ये कह कर हेमलता को गले लगती।

फिर सब नीचे जाते । सब उस नई नवेहली दुल्हन का स्वागत अच्छे से करते कोइ कुछ बना कर लाता और खिलाता तो कोई कुछ । कोई पुरानी एल्बम ही ले आता और सब की हसी बनाता ।

ईशानी सब के साथ घुल मिल गई उसने अपनी सास की मदद से सब कुछ बनाना सीख लिया। सब की पसंद ना पसंद जान गई। उसकी सास ने ये कभी नही कहा की मेरे बेटे को मेरे हाथ का खाना पसंद है तो मैं बनाऊंगी बल्कि उसने कहा की स्वाद बदलते रहना चाहिए । मैं तो जल्द ही स्वर्ग सिधार जाऊंगी जिंदगी तो तुझे अपने हमसफर के साथ ही जीना है ।


आज ईशानी भी अपनी बहू लेकर आई और उसने भी उसके साथ वही किया जो उसकी सास ने नई नवेली दुल्हन के साथ किया । बुराई तो अपने आप फैल जाती है लेकिन अच्छाई को फेलाना पड़ता है । 



प्रतियोगिता हेतू लिखी कहानी 


 






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8 Comments

Abhinav ji

23-Mar-2022 08:54 AM

बहुत खूब अच्छा काम बड़ी ही लगन से करना होता hai

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Mohammed urooj khan

22-Mar-2022 03:21 PM

धन्यवाद आप अब का । एक दिन जरूर ऐसा आएगा क्योंकि अब जमाना बदल रहा है

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Sangeeta singh

22-Mar-2022 03:12 PM

Bahut accha likha hai

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